किंतु कुछ लम्हों के लिए ही साहस वह मायवी छठ टूट गया हम फिर भी अपने अपने में लौट आया एक लंबी की गंद जिसे हम पास पास खडे सुँघ सकते थे गलियों के बावजूद अपना सकते थे अब अलग-अलग रास्तों पर लगी थी केवल हम तीनों व्यक्ति अब भी अहते के भीतर अनिश्चित सी मुद्रा में खड़े रहे
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bhai btana kya hai isme ye to btao
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