कौटिल्य के अर्थशास्त्र में अनेक विषयों की चर्चा है, जैसे, "व्यापार और वाणिज्य, कानून और न्यायालय, नगर-व्यवस्था, सामाजिक रीति-रिवाज, विवाह और तलाक, स्त्रियों के अधिकार, कर और लगान, कृषि, खानों और कारखानों को चलाना, दस्तकारी, मंडियाँ, बागवानी, उद्योग-धंधे, सिंचाई और जलमार्ग, जहाज़ और जहाज़रानी, निगमें, जन-गणना, मत्स्य-उद्योग, कसाई खाने, पासपोर्ट और जेल-सब शामिल हैं। इसमें विधवा विवाह को मान्यता दी गई है और विशेष परिस्थितियों में तलाक को भी।" वर्तमान में इन विषयों कि क्या स्थिति है? अपनी पसंद के किन्हीं दो-तीन विषयों पर लिखिए।
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wellbeing all is also an important part number of the vehicle was a pleasure to have the
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वर्तमान में इन सभी विषयों के बारे में काफी जनजागृति है।
व्यापार और वाणिज्य का स्वरूप व दिशा पहले की तुलना में तेजी से बदली है। नगरों में ही नहीं गांव में भी सभी प्रकार की वस्तुओं के विक्रय के लिए उपलब्ध है। अब घर बैठे इंटरनेट के उपयोग से चली मार्केटिंग की जा सकती है। किसी भी वस्तु की अनेक रूप रंग आकार में प्राप्त की जा सकती है। बैंकों की व्यवस्था से व्यापार और वाणिज्य आसान हो गया है। तेज़ गति वाले वाहन और जहाज इस कार्य को सरलता से संपन्न करवाने में सहायक है।
विवाह और तलाक के प्रति मान्यताएं बदल गई है। पहले की तरह समाज अब रूढ़ियों परंपरा में बंधा हुआ नहीं है। कहीं-कहीं कुछ बंधन अब भी है, पर उनमें भी समय के साथ बदलाव आ रहे हैं। शिक्षा के प्रसार ने मनुष्य की सोच बदल दी है।
विधवा विवाह पर कोई रोक-टोक नहीं है। जन्म मरण पर भी किसी का वश नहीं है। यदि पुरुष अपनी पत्नी के मृत्यु के बाद दूसरा विवाह कर सकता है तो स्त्री भी अपने पति के न रहने या उससे तलाक हो जाने पर दोबारा विवाह के लिए पुरुष के सामान्य स्वतंत्र है। इसके विषय में सरकारी कानून बनाए गए हैं और सामाजिक मान्यताएं भी दी जा चुकी है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
व्यापार और वाणिज्य का स्वरूप व दिशा पहले की तुलना में तेजी से बदली है। नगरों में ही नहीं गांव में भी सभी प्रकार की वस्तुओं के विक्रय के लिए उपलब्ध है। अब घर बैठे इंटरनेट के उपयोग से चली मार्केटिंग की जा सकती है। किसी भी वस्तु की अनेक रूप रंग आकार में प्राप्त की जा सकती है। बैंकों की व्यवस्था से व्यापार और वाणिज्य आसान हो गया है। तेज़ गति वाले वाहन और जहाज इस कार्य को सरलता से संपन्न करवाने में सहायक है।
विवाह और तलाक के प्रति मान्यताएं बदल गई है। पहले की तरह समाज अब रूढ़ियों परंपरा में बंधा हुआ नहीं है। कहीं-कहीं कुछ बंधन अब भी है, पर उनमें भी समय के साथ बदलाव आ रहे हैं। शिक्षा के प्रसार ने मनुष्य की सोच बदल दी है।
विधवा विवाह पर कोई रोक-टोक नहीं है। जन्म मरण पर भी किसी का वश नहीं है। यदि पुरुष अपनी पत्नी के मृत्यु के बाद दूसरा विवाह कर सकता है तो स्त्री भी अपने पति के न रहने या उससे तलाक हो जाने पर दोबारा विवाह के लिए पुरुष के सामान्य स्वतंत्र है। इसके विषय में सरकारी कानून बनाए गए हैं और सामाजिक मान्यताएं भी दी जा चुकी है।
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