(२) कृति पूर्ण करो :
कवि मातृभूमि के प्रति
अर्पित करना चाहता है
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अर्थ: कवि कहता है कि हे माँ! समुद्र जिसके पैरों की धूल को अपने जल से लगातार धोकर प्रणाम करता है, मैं भी उन्हीं चरणों को दबाना चाहता हूँ अर्थात कवि मातृभूमि की सेवा करना चाहता है।
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