कात ४ : (स्वमत अभिव्यक्ति)
• 'आर्थिक विषमता का बच्चों पर प्रभाव,' विषय पर अपने विचार लिखिए।
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आर्थिक विषमता का बच्चों पर प्रभाव,'
- यह वैश्वीकरण का दौर है, जहां पूंजी को दुनियाभर में विचरण करने की छूट है, लेकिन इससे बनाई गई संपदा पर कुछ लोगों का ही कब्जा है, जबकि इसकी कीमत राष्ट्रों की पूरी आबादी उठा रही है। फिलहाल बड़ा अजीब-सा त्रिकोण बना है- एक तरफ पूंजी का भूमंडलीकरण हुआ है तो दूसरी तरफ अभी भी राष्ट्र-राज्यों में बंटे हुए हैं। अब तो दुनियाभर में अंधराष्ट्रवाद की नई बयार भी चली पड़ी है, इधर विभिन्न देशों के बीच और खुद उनके अंदर आर्थिक विषमता की खाई बढ़ती ही जा रही है। चर्चित फ्रांसीसी अर्थशास्त्री टॉमस पिकेट्टी अपनी किताब कैपिटल इन द ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी में इसी बात को रेखांकित करते हैं कि कैसे 1970 के दशक के बाद से आर्थिक विषमता लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले साल आॅक्सफैम ने यह अनुमान लगाया था कि 2016 तक दुनिया की आधी सम्पति पर एक प्रतिशत लोगों का कब्जा हो जाएगा।
इसी के कारण बच्चों पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है।
बच्चे बुरी संगति में पड़ जाते हैं।
- उच्च राज्य-स्तरीय आय असमानता किशोर जन्मों, किशोर गृहिणियों, शिशु मृत्यु दर, कम जन्म के बच्चे, अधिक वजन वाले बच्चों, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और उच्च विद्यालय छोड़ने वालों की उच्च दर के साथ-साथ बदतर शैक्षिक स्कोर (पिकेट और विल्किंसन 2007 ए) से जुड़ी हुई है।
आशा है आप की मदद होगी धन्यवाद।
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