Hindi, asked by seemabagul8, 3 days ago

कृति ४) स्वमत अभिव्यक्ति 'अपरिग्रह व्रत' विषय पर अपने विचार लिखिए।​

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Answered by pnandinihanwada
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Answer:

अपरिग्रह गैर-अधिकार की भावना, गैर लोभी या गैर लोभ की अवधारणा है, जिसमें अधिकारात्मकता से मुक्ति पाई जाती है।। यह विचार मुख्य रूप से जैन धर्म तथा हिन्दू धर्म के राज योग का हिस्सा है। जैन धर्म के अनुसार "अहिंसा और अपरिग्रह जीवन के आधार हैं"। [1] अपरिग्रह का अर्थ है कोई भी वस्तु संचित ना करना।

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