कृति ४ : (स्वमत अभिव्यक्ति)
प्रकृति हमारी गुरु' विषय पर अपने विचार लिखिए। (मौलिक सृजन – पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. ३०)
उत्तर:प्रकृति हमारी गुरु है
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उत्तर : प्रकृति हमारी गुरु है। प्रकृति जल के रूप में हमें प्रगति और प्रवाह सिखाती है। जल हमें बताता है कि हमें हर बाधा को पार करते हुए चलते जाना है। वायु का अर्थ है वेग। वायु के रूप में प्रकृति हमें सीमाओं में रहकर जीने की सीख देती है। वायु जब अपनी सीमा तोड़ती है, तो आँधी बन जाती है। उसी तरह मनुष्य जब सीमा तोड़ता है, तो भूचाल आ जाता है। पृथ्वी के रूप में प्रकृति धैर्य और दृढ़ता सिखाती हैं। आग हमें सिखाती है, अपनी ऊर्जा का सही उपयोग करना। किसी भी कार्य में अति उत्साह या अधिक ऊर्जा लगाना उस काम को बिगाड़ देता है। आकाश का अर्थ है विस्तार जीवन को आसमान जैसा विस्तार देना संभव है। परंतु हमें सदा यह ध्यान रखना होगा कि हम अपने उद्देश्य से भटक न जाएँ।
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