कुत् वाहानानाम् अनन्ताः प्रक्तमः धावन्ति?
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Explanation:
वनों का महत्त्व
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(i) वन तरह-तरह के फल-फूलों, वनस्पतियों, वनौषधियों और जड़ी-बूटियों की प्राप्ति का स्थल तो हैं ही, धरती पर जो प्राण-वायु का संचार हो रहा है उसके समग्र स्रोत भी वन ही हैं।
(ii) वन धरती और पहाड़ों का क्षरण रोकते हैं। नदियों को बहाव और गतिशीलता प्रदान करते हैं।
(iii) वन बादलों और वर्षा का कारण हैं।
(iv) तरह-तरह के पशु-पक्षियों की उत्पत्ति, निवास और आश्रय स्थल हैं।
(v) छाया के मूल स्रोत हैं।
(vi) इमारती लकड़ी के आगार हैं।
(vii) मनुष्य की ईंधन की आवश्यकता की भी बहुत कुछ पूर्ति करने वाले हैं।
(viii) अनेक दुर्लभ मानव और पशु-पक्षियों आदि की जातियाँ-प्रजातियाँ आज भी वनों की सघनता में अपने बचे-खुचे रूप में पाई जाती हैं।
(ix) यह सामान्य सा ज्ञान है कि पौधे ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं। वे अन्य ग्रीनहाउस गैसों को भी अवशोषित करते हैं जो वातावरण के लिए हानिकारक होती हैं।
(x) पेड़ और जंगल हमें पूरी हवा के साथ-साथ वातावरण की भी सफ़ाई करने के लिए मदद करते हैं।