कॉटन का उत्पादन सबसे ज्यादा किस देश में होता है
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China produces the maximum cotton in the world
India is on second place
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कपास एक नकदी फ़सल है। इससे रुई तैयार की जाती है। भारत में कपास को 'सफ़ेद सोना' भी कहा जाता है। लम्बे रेशे वाले कपास सबसे सर्वोत्तम प्रकार के होते हैं, जिसकी लम्बाई 5 सें.मी. से अधिक होती है। इससे उच्च कोटि का कपड़ा बनाया जाता है। तटीय क्षेत्रों में पैदा होने के कारण इसे 'समुद्र द्वीपीय कपास' भी कहते हैं। मध्य रेशे वाला कपास, जिसकी लम्बाई 3.5 से 5 सें.मी. तक होती है, 'मिश्रित कपास' कहलाता है। तीसरे प्रकार का कपास छोटे रेशे वाला होता है, जिसके रेशे की लम्बाई 3.5 सें.मी. तक होती है।
इतिहास
कपास भारत की आदि फ़सल है, जिसकी खेती बहुत ही बड़ी मात्रा में की जाती है। यहाँआर्यावर्त में ऋग्वैदिक काल से ही इसकी खेती की जाती रही है। भारत में इसका इतिहासकाफ़ी पुराना है। हड़प्पा निवासी कपास के उत्पादन में संसार भर में प्रथम माने जाते थे। कपास उनके प्रमुख उत्पादनों में से एक था। भारत से ही 327 ई.पू. के लगभग यूनान में इस पौधे का प्रचार हुआ। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत से ही यह पौधा चीन और विश्व के अन्य देशों को ले जाया गया। विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 150 लाख मीट्रिक टन कपास पैदा होता है। संयुक्त राज्य अमरीका, चीन, भारत, ब्राजील, मिस्र, सूडान आदि कपास के प्रमुख उत्पादक देश हैं।
भौगोलिक दशाएँ
वर्तमान समय में कपास की खेती एक बहुत बड़े क्षेत्रफल में हो रही है। मानव जीवन में इसका बहुत ही महत्त्व है। इसीलिए कपास की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। कपास की खेती के लिए निम्न भौगोलिक अवस्थाएँ आवश्यक होती हैं-
तापमान
कपास के पौधे के लिए उच्च तापमान, साधारणतः 20° सेंटीग्रेट से 30° सेंटीग्रेट तक, की आवश्यकता पड़ती है, किन्तु यह 40° तक की गर्मी में भी पैदा किया सकता है। पाला अथवा ओला इसकी फ़सल के लिए घातक है। अतः इस पौधे के विकास के लिए कम-से-कम 210 दिन पाला-रहित ऋतु चाहिए। डोडी खिलने के समय स्वच्छ आकाश, तेल और चमकदार धूप का होना आवश्यक है, जिससे रेशे में पर्याप्त चमक आ सके और डोडिया पूरी तरह खिल सकें। समुद्री पवनों के प्रभाव में उगने वाली कपास का रेशा लम्बा और चमकदार होता है।
कॉटन का उत्पादन सबसे ज्यादा china देश में होता है
इतिहास
कपास भारत की आदि फ़सल है, जिसकी खेती बहुत ही बड़ी मात्रा में की जाती है। यहाँआर्यावर्त में ऋग्वैदिक काल से ही इसकी खेती की जाती रही है। भारत में इसका इतिहासकाफ़ी पुराना है। हड़प्पा निवासी कपास के उत्पादन में संसार भर में प्रथम माने जाते थे। कपास उनके प्रमुख उत्पादनों में से एक था। भारत से ही 327 ई.पू. के लगभग यूनान में इस पौधे का प्रचार हुआ। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत से ही यह पौधा चीन और विश्व के अन्य देशों को ले जाया गया। विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 150 लाख मीट्रिक टन कपास पैदा होता है। संयुक्त राज्य अमरीका, चीन, भारत, ब्राजील, मिस्र, सूडान आदि कपास के प्रमुख उत्पादक देश हैं।
भौगोलिक दशाएँ
वर्तमान समय में कपास की खेती एक बहुत बड़े क्षेत्रफल में हो रही है। मानव जीवन में इसका बहुत ही महत्त्व है। इसीलिए कपास की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। कपास की खेती के लिए निम्न भौगोलिक अवस्थाएँ आवश्यक होती हैं-
तापमान
कपास के पौधे के लिए उच्च तापमान, साधारणतः 20° सेंटीग्रेट से 30° सेंटीग्रेट तक, की आवश्यकता पड़ती है, किन्तु यह 40° तक की गर्मी में भी पैदा किया सकता है। पाला अथवा ओला इसकी फ़सल के लिए घातक है। अतः इस पौधे के विकास के लिए कम-से-कम 210 दिन पाला-रहित ऋतु चाहिए। डोडी खिलने के समय स्वच्छ आकाश, तेल और चमकदार धूप का होना आवश्यक है, जिससे रेशे में पर्याप्त चमक आ सके और डोडिया पूरी तरह खिल सकें। समुद्री पवनों के प्रभाव में उगने वाली कपास का रेशा लम्बा और चमकदार होता है।
कॉटन का उत्पादन सबसे ज्यादा china देश में होता है
Aarohimehta1:
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