केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा वर्तनी और विराम चिन्हों के मानक लेखन के बारे में बनाए गए नियमों के चर्चा कीजिए
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केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा वर्तनी और विराम चिन्हों के मानक लेखन के बारे में बनाए गए नियमों की चर्चा कीजिए।
केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा वर्तनी और विराम चिन्हों के मानक लेखन के बारे में अनेक तरह के नियम बनाए गए हैं, जो कि इस प्रकार हैं।
- वर्तनी संबंधी अध्ययन नियम के अंतर्गत संयुक्त वर्ण में खड़ी पाई वाले व्यंजनों का क्षेत्र रूप खड़ी पाई को हटाकर ही बनाया जाएगा।
- विभवीति चिन्ह वाले सभी प्रकार के संज्ञा शब्दों में प्रतिपादित से पृथक लिखे जाएंगे।
- संयुक्त क्रियाओं में सभी अंगों भूत क्रियाएं अलग-अलग लिखी जाएंगी।
- हाइपन का विधान स्पष्ट करने के लिए प्रयोग किया जाएगा।
- अव्यय शब्दों में प्रति, मात्र, यथा जैसे अवयव अलग नहीं रखे जाएंगे।
- श्रुतिमूलक जैसे य और व का प्रयोग विकल्प के रूप में वहां ना किया जाए बल्कि सकारात्मक रूपों का ही पहले प्रयोग किया जाए।
- अनुस्वार तथा अनुनासिक था वाले संयुक्त व्यंजन का प्रयोग सही प्रकार से किया जाए।
- संस्कृत मूलक तत्सम शब्दों को सामान्य संस्कृत रूप में प्रयोग में लाया जाए।
- जिस संस्कृत शब्दों में विसर्ग का प्रयोग होता है और यदि वह संस्कृत के तत्सम रूप में प्रयोग किए जा रहे हैं, तो उनमें विसर्ग का प्रयोग किया जाए।
- शिरोरेखा का प्रचलित प्रयोग जारी रहना चाहिए।
- फुल स्टॉफ को छोड़कर बाकी सभी विराम चिन्ह वही ग्रहण किया जाए, जो अंग्रेजी में प्रचलित है।
#SPJ3
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