क) 'दोषों का पर्दाफ़ाश करना बुरी बात नहीं है। बुराई में रस लेना बुरी बात है।' इन पंक्तियों के
माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
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लेखक कहना चाहते हैं कि हमे कभी भी बुराई या झूठ का साथ नहीं देना चाहिए बलकी बुरे लोगों क पर्दा फाश करना चाहिए ।
Answer:
हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित 'क्या निराश हुआ जाए' निबंध से उद्धरित यह प्रश्न है। जिसमें द्विवेदी जी कहते हैं कि दोषों का पर्दाफ़ाश करना बुरी बात नहीं होती है । परन्तु , इसमें बुराई तब सम्मिलित हो जाती है जब हम किसी के आचरण के गलत पक्ष को उद्घाटित करके उसमें रस लेते है । लेखक के अनुसार यह ग़लत बात है । हमारा दूसरों के दोषोद्धाटन को अपना कर्त्तव्य मान लेना सही नहीं है । हम यह नहीं समझते कि बुराई समान रूप से हम सबमें विद्यमान है । यह भूलकर हम किसी की बुराई में रस लेना आरम्भ कर देते हैं और अपना मनोरंजन करने लग जाते हैं । परन्तु , हम उसके द्वारा की गई अच्छाई को तो उजागर ही नहीं करते । हम उसकी बुराईयों का उतना रस नहीं लेंगे अगर हम उसके व्यक्तित्व के अच्छे पहलुओं की तरफ़ देखें । उसके द्वारा किये गये अच्छे कार्यों को सराहें तों उसके लिए और समाज के लिए यह उतना ही लाभकारी होगा । परन्तु , बुरा तब होता है जब हम उसकी बुराई में तो रस ले लेते हैं पर अच्छाई को भुला देते हैं ।