कुदरत के बदलते मिजाज पर 150 शब्दों में निबंध
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धरती पर जीवन जीने के लिये भगवान से हमें बहुमूल्य और कीमती उपहार के रुप में प्रकृति मिली है। दैनिक जीवन के लिये उपलब्ध सभी संसाधनों के द्वारा प्रकृति हमारे जीवन को आसान बना देती है। एक माँ की तरह हमारा लालन-पालन, मदद, और ध्यान देने के लिये हमें अपने प्रकृति का धन्यवाद करना चाहिये।
अगर हम सुबह के समय शांति से बगीचे में बैठे तो हम प्रकृति की मीठी आवाज और खूबसूरती का आनन्द ले सकते है। हमारी कुदरत ढ़ेर सारी प्राकृतिक सुंदरता से सुशोभित है जिसका हम किसी भी समय रस ले सकते है। पृथ्वी के पास भौगोलिक सुंदरता है और इसे स्वर्ग या शहरों का बगीचा भी कहा जाता है। लेकिन ये दुख की बात है कि भगवान के द्वारा इंसानों को दिये गये इस सुंदर उपहार में बढ़ती तकनीकी उन्नति और मानव जाति के अज्ञानता की वजह से लगातार ह्रास हो रहा है।
प्रकृति
प्रकृति हमारी वास्तविक माँ की तरह की होती है जो हमें कभी नुकसान नहीं पहुँचाती बल्कि हमारा पालन-पोषण करती है। सुबह जल्दी प्रकृति के गोद में ठहलने से हम स्वस्थ और मजबूत बनते है साथ ही ये हमें कई सारी घातक बीमारीयों जैसे डायबिटिज, स्थायी हृदय घात, उच्च रक्त चाप, लीवर संबंधी परेशानी, पाचन संबंधी समस्या, संक्रमण, दिमागी समस्याओं आदि से भी दूर रखता है।
ये हमारे स्वास्थ्य के लिये अच्छा है कि हम चिड़ियों की मधुर आवाज, मंद हवा की खनखनाहट, ताजी हवा की सनसाहट, बहती नदी की आवाज आदि सुबह - सुबह सुनें। ज्यादातर कवि, लेखक और लोगों को अपने दिमाग, शरीर, और आत्मा को दुबारा से ऊर्जायुक्त बनाने के लिये उद्यानों में योगा और ध्यान करते देखा जा सकता है।
Pls follow me and have a nice day.. ❤️
Answer:
धरती पर जीवन जीने के लिये भगवान से हमें बहुमूल्य और कीमती उपहार के रुप में प्रकृति मिली है । दैनिक जीवन के लिये उपलब्ध सभी संसाधनों के द्वारा प्रकृति हमारे जीवन को आसान बना देती है। एक माँ की तरह हमारा लालन-पालन, मदद, और ध्यान देने के लिये हमें अपने प्रकृति का धन्यवाद करना चाहिये ।
अगर हम सुबह के समय शांति से बगीचे में बैठे तो हम प्रकृति की मीठी आवाज और खूबसूरती का आनन्द ले सकते है। हमारी कुदरत ढेर सारी प्राकृतिक सुंदरता से सुशोभित है जिसका हम किसी भी समय रस ले सकते है । पृथ्वी के पास भौगोलिक सुंदरता और इसे स्वर्ग या शहरों का बगीचा भी कहा जाता है। लेकिन ये दुख की बात है कि भगवान के द्वारा इंसानों को दिये गये इस सुंदर उपहार में बढ़ती तकनीकी उन्नति और मानव जाति के अज्ञानता की वजह से लगातार ह्रास हो रहा है।