क उत्तर लाखए-
ज्यों निकलकर बादलों की गोद से
थी अभी इक बूंद कुछ आगे बढ़ी
सोचने फिर-फिर यही जी में लगी
आह, क्यों घर छोड़कर मैं यों कढ़ी।
दैव, मेरे भाग्य में है क्या बदा
मैं बनूंगी या मिलूँगी धूल में,
जल उलूंगी गिर अंगारे पर किसी
चू पढूंगी या कमल के फूल में।
बह गई उस काल इक ऐसी हवा,
वह समुंदर ओर आई अनमनी,
एक सुंदर सीप का मुँह था खुला
वह उसी में जा पड़ी मोती बनी।
(i) बूंद द्वारा कहा गया 'आह' शब्द किस भाव को व्यक्त करता है?
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ज्यों निकलकर बादलों की गोद से
थी अभी इक बूंद कुछ आगे बढ़ी
सोचने फिर-फिर यही जी में लगी
आह, क्यों घर छोड़कर मैं यों कढ़ी।
दैव, मेरे भाग्य में है क्या बदा
मैं बनूंगी या मिलूँगी धूल में,
जल उलूंगी गिर अंगारे पर किसी
चू पढूंगी या कमल के फूल में।
बह गई उस काल इक ऐसी हवा,
वह समुंदर ओर आई अनमनी,
एक सुंदर सीप का मुँह था खुला
वह उसी में जा पड़ी मोती बनी।
(i) बूंद द्वारा कहा गया 'आह' शब्द किस भाव को व्यक्त करता है?
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