क) वंशीधर तिवारी ने अपने पुत्र को आगो पढ़ने का स्वपन क्यों देखा
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मोहन के पिता पंडित वंशीधर तिवारी यजमानों की पुरोहिताई का काम करते थे। जब मोहन को मेधावी छात्रवृत्ति मिली तो वंशीधर का हौसला बढ़ गया। अब वे भी अपने पुत्र को पड़ा-लिखाकर बड़ा आदमी बनाने के सपने देखने लगे।
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