काव्य में शब्द और अर्थ के सौंदर्य में वृद्धि करने वाले साधनों को अलंकार कहते हैं। जहाँ कोई शब्द
एक से अधिक प्रयुक्त होता है तथा उसके अर्थ भिन्न-भिन्न होते हैं, वहाँ यमक अलंकार होता है। जैसे-
काली घटा का घमंड घटा।
यहाँ पहले 'घटा' शब्द का अर्थ (काले) 'बादल' है तथा दूसरे 'घटा' शब्द का अर्थ 'कम हो गया है। इस
प्रकार इस पूरी पंक्ति का अर्थ है-काले बादलों का प्रभाव कम हो गया।
कभी-कभी उच्चारण की समानता होने से भी पुनरावृत्ति का आभास होता है। जब कि शब्द अलग अलग होते
हैं-मन का मनका।
आप कोई चार ऐसे उदाहरण दीजिए जिनमें एक शब्द दो या दो से अधिक बार हो तथा उसका अर्थ प्रत्येक
बार अलग-अलग हो।____________________________________________________________________________________________________________________
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तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती हैं
कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय या खाए बोराय जग्
वाह पाए बोराय
या मुरली मुरलीधर की अधरा न धरी अधरा न धरोगी
तू मोहन के उर बसी ह्वे उरबसी सामान।
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