काव्यांश के भौतिक सौंदर्य पर टिप्पणी कीजिए
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Kaavya ka swaroop काव्य का स्वरूप एवं भेद
कविता के चार सौंदर्य तत्व है – भाव सौंदर्य , विचार सौंदर्य , नाद सौंदर्य और अप्रस्तुत – योजना का सौंदर्य। इन्हे निम्नलिखित रुप में स्पष्ट किया गया है –
१ भाव सौंदर्य Bhaav saundarya –
प्रेम , करुणा , क्रोध , हर्ष , उत्साह आदि का विभिन्न परिस्थितियों में मर्मस्पर्शी चित्रण ही भाव सौंदर्य है। भाव सौंदर्य को ही साहित्य शास्त्रों ने रस कहा है। प्राचीन आचार्यों ने रस को काव्य की आत्मा माना है। श्रृंगार रस , वीर रस , हास्य रस , करुण , रौद्र , शांत , भयानक , अद्भुत तथा वीभत्स – नौ रस कविता में माने जाते हैं। परवर्ती आचार्यों ने वात्सल्य और भक्ति को भी अलग रस माना है। सूर के बाल वर्णन में वात्सल्य का गोपी प्रेम में ‘ श्रृंगार ‘ का भूषण की शिवा बावनी में ‘ वीर रस ‘ का चित्रण है।
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