Hindi, asked by rachanadevi2005, 5 months ago

काव्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखो- हँस लो दो क्षण ख़ुशी मिली गर वरना जीवन भर क्रंदन है | किसका जीवन हँसी-ख़ुशी में इस दुनिया में रहकर बीता ? कितने रह-रह गिर जाते हैं, हँसता चाँद भी छिप जाता है, जब सावन घन घिर आते हैं | उगता-ढलता रहता सूरज जिसका साक्षी नील गगन है |यदि तुमको मुस्कान मिली तो थामो सबको हाथ बढ़ाकर | झाँको अपने मन दर्पण में प्रतिबिंबित सबका आनन है |

Answers

Answered by nishadsubedar09
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Answer:

(क) जीवन में बहुत आपदाएँ हैं। अत: जब भी हँसी के क्षण मिल जाएँ तो उन क्षणों में हँस लेना चाहिए। कवि इसलिए कहता है जब अवसर मिले हँस लेना चाहिए। खुशी मनानी चाहिए।

(ख) कविता में बताया गया है कि संसार में सब कुछ नश्वर है।

(ग) धरती का कण-कण गाथा सुनाता आ रहा है कि आसमान को छूने वाली ऊँची-ऊँची दीवारें एक दिन मिट्टी में मिल जाती हैं। सभी सहारे दूर हो जाते हैं। अत: यदि समय है तो सबके साथ मुस्कराओ और यदि सामथ्र्य है तो सबको सहारा दो।

(घ) यहाँ कवि का अभिप्राय है कि यदि अपने मन-दर्पण में झाँककर देखोगे तो सभी के एक-समान चेहरे नजर आएँगे अर्थात् सभी एक ईश्वर के ही रूप दिखाई देंगे।

(ङ) ‘उगता-ढलता रहता सूरज’ के माध्यम से कवि ने कहना चाहा है कि जीवन में समय एक-सा नहीं रहता है। अच्छे-बुरे समय के साथ-साथ सुख-दुख आते-जाते रहते हैं।

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