कै वह टूटी-सी छानी हती कहँ कंचन के अब धाम सुहावत।कै पग में पनही न हती, कहँ ले गजराजहु ठाढ़े महावत।।भूमि कठोर पै रात कटै, कह कोमल सेज पै नींद न आवत।।कै जुरतो नहिं कोदो सवाँ, प्रभु के परताप तें दाख न भावत।। explanation in hindi
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प्रश्न में दी गई पंक्तियाँ सुदामा चरित कविता से ली गई गई | यह कविता नरोत्तम दास द्वारा लिखी गई है |
घर पहुंच कर जब सुदामा ने सोने का महल देखा तो , सुदामा को सारी बात समझ में आ गई वह कृष्ण के गुणगान गाने लगे | वह कहने लगे कि जहाँ सर के लिए छत नहीं थी , वहाँ अब सोने का महल दे दिया | मेरे पैरों में जूते नहीं होते थे , मेरे आगे हाथी लिए महावत खड़ा हुआ है | जान मुझे कठोर जमीन पर सोना पड़ता था उसके लिए फूलों से कोमल सेज दे दिया है | प्रभु की लीला अपरंपार है।
Answer:
जब सुदामा को सारी बात समझ में आ गई तो वे कृष्ण के गुणगान करने लगे। सुदामा सोचने लगे कि कमाल हो गया। जहाँ सर के ऊपर छत नहीं थी वहाँ अब सोने का महल शोभा दे रहा है। जिसके पैरों में जूते नहीं हुआ करते थे उसके आगे हाथी लिये हुए महावत खड़ा है। जिसे कठोर जमीन पर सोना पड़ता था उसके लिए फूलों से कोमल सेज सजा है। प्रभु की लीला अपरंपार है।
Explanation:
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