के वह टूटी-सी छानी हती, कहें कंचन के अब धाम सुहावत
के पग में पनहीन हती, कहँ ले गजराज ठाडे महावत।।
भूमी कठोर पै रात कटै, कह कोमल सेज पै नींद न आवत।
के जुरतो नहि कोदो साँ, प्रभु के परताप ते दाख न भावत।
1. कवि और कविता का नाम बताइए।
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hume kya patahruiejrirjeorjekufnridjrkfurhidud
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