Hindi, asked by hjjjd9051, 11 months ago

क्या भूलूँ क्या याद करूँ किस विधा पर आधारित रचना है ?

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Answered by qwstoke
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"क्या भूलूं क्या याद करूँ " हरिवंशराय बच्चन जी की बहु प्रशंसित आत्मकथा है

- उनकी यह कृति हिंदी साहित्य की

कालजयी कृति है। यह कृति चार खंडों में है

क्या भूलूं क्या याद करूं, नीड़ का निर्माण फिर, बसेरे से दूर, दशद्वार से सोपान तक।

- उनकी इस कृति के लिए बच्चन जी को भारतीय साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार ' सरस्वती सम्मान ' से सम्मानित किया जा चुका है।

- डॉक्टर धर्मवीर भारती के अनुसार यह हिन्दी के हजार वर्षों के इतिहास में पहली घटना है जब इतनी बेबाकी व साहस से किसी ने अपने बारे कहा है।

- हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार बच्चन जी ने न सिर्फ अपने परिवार का व्यक्तित्व उभारा है अपितु उनके साथ समूचा काल उभरा है।

- आत्मकथा की पंक्तियों में हरिवंशराय कहते है कि जब मै अपने जीवन के सुखी पलों को याद करता हूं तो आंखों में आंसू आ जाते है तथा जब दुख के पल याद करता हूं तो दिल भारी हो जाता है।

आत्मकथा की प्रसिद्ध पंक्तियाँ है।

क्या भूलूँ, क्या याद करूँ मैं!

अगणित उन्मादों के क्षण हैं,

अगणित अवसादों के क्षण हैं,

रजनी की सूनी घड़ियों को

किन-किन से आबाद करूँ मैं!

क्या भूलूँ, क्या याद करूँ मैं!

याद सुखों की आँसू लाती,

दुख की, दिल भारी कर जाती,

दोष किसे दूँ जब अपने से

अपने दिन बर्बाद करूँ मैं!

क्या भूलूँ, क्या याद करूँ मैं!

दोनों करके पछताता हूँ,

सोच नहीं, पर मैं पाता हूँ,

सुधियों के बंधन से कैसे

अपने को आज़ाद करूँ मैं!

क्या भूलूँ, क्या याद करूँ मैं!

Answered by sameerkhansabri2002
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Explanation:

क्या भूलूं क्या याद करूं रचना किस विधा पर आधारित है

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