क्या एक तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग कहा जा सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
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समजात अंग उसे कहा जाता हैं जिनकी रचना एवं उत्पत्ति एक समान होती हैं। एक तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि दोनों उड़ने के उद्देश्य से होतें हैं अर्थात् इनके कार्य तो समान होते हैं परंतु उनकी मूल रचनाएं भिन्न होती हैं साथ ही इनकी उत्पत्ति भी असमान होती हैं।
तितली और चमगादड़ के पंख दिखने में एक जैसे होते हैं तथा कार्य भी एकसमान करते हैं परन्तु इनकी रचना एवं उत्पत्ति भिन्न होती है अतः इन्हें समरुप अंग कहा जाता हैं।
तितली और चमगादड़ के पंख दिखने में एक जैसे होते हैं तथा कार्य भी एकसमान करते हैं परन्तु इनकी रचना एवं उत्पत्ति भिन्न होती है अतः इन्हें समरुप अंग कहा जाता हैं।
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उत्तर :
समजात अंग : समजात अंग वे अंग कहलाते हैं जिनकी उत्पत्ति व रचना एक समान होती है।
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एक तितली और चमगादड़ दोनों के पंख उड़ने का काम करते हैं किंतु इन्हें समजात अंग नहीं कहा जा सकता है क्योंकि इनकी रचना एवं उत्पत्ति समान नहीं होती है जैसा कि हम समजात अंगों की परिभाषा से जानते हैं। इनके केवल कार्य समान होते हैं।
एक तितली एवं चमगादड़ के पंखों को समवृत्ती अंग कहा जा सकता है।
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समजात अंग : समजात अंग वे अंग कहलाते हैं जिनकी उत्पत्ति व रचना एक समान होती है।
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एक तितली और चमगादड़ दोनों के पंख उड़ने का काम करते हैं किंतु इन्हें समजात अंग नहीं कहा जा सकता है क्योंकि इनकी रचना एवं उत्पत्ति समान नहीं होती है जैसा कि हम समजात अंगों की परिभाषा से जानते हैं। इनके केवल कार्य समान होते हैं।
एक तितली एवं चमगादड़ के पंखों को समवृत्ती अंग कहा जा सकता है।
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