क्या हमें दिखाई देने वाली किसी तारे की स्थिति उसकी सही स्थिति होती है अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए
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तारों की दूरियाँ ज्ञात करने के लिए त्रिकोणमितीय विधियों का प्रयोग किया जाता है। हमसे अति समीप तारा भी इतनी दूरी पर है कि यदि हम पृथ्वी के व्यास को आधार मानकर उसकी दिशाओं को देखें तो वे समांतर प्रतीत होतीं हैं, अर्थात् तारे का लंबन (parallax) शून्य ही आता है। अत: तारों के लंबन को ज्ञात करने के लिए हमें बड़े आधार की आवश्यकता पड़ती है। अत: पृथ्वी की कक्षा (orbit) के व्यास को हम आधार बनाते हैं। यदि हम किसी तारे की दिशा के एक वेध के छ: महीने बाद उसका वेघ करें तो हमें पृथ्वी की कक्षा के व्यास (2 x 6,30,00,000 मील के लगभग) का आधार मिल जाता है। इस प्रकार के वेध से समीपस्थ तारे दूरस्थ तारों के सापेक्ष (जिनका हमें उनकी निजी गति के अध्ययन से ज्ञान है) थोड़ा दिक् परिवर्तन दिखलाते हैं। इसे निकालते समय हमें तारे की निजी गति के प्रभाव पर भी विचार करना पड़ता है। तो भी यह इतना कम है कि निकटतम तारे का लंबन 76 है। यदि किसी तारे का लंबन 1 हो तो वह पृथ्वी से पृथ्वी की कक्षा की त्रिज्या से 2,06,265 गुनी दूरी पर होता है। इस दूरी को एक पारसेक (पारलैक्स सेकंड का संक्षिप्त रूप) कहते है। दूरी मापने के लिए जिस अन्य इकाई का प्रयोग किया जाता है, वह है प्रकाशवर्ष (light year)। प्रकाश का वेग 1,86,000 मील प्रति सेकंड है। इस वेग से प्रकाश एक वर्ष में जितनी दूरी तक जाता है उतनी दूरी को एक प्रकाश वर्ष कहते हैं यह दूरी लगभग 60,00,00,00,00,000 मील होती है। एक पारसेक लगभग 3.26 प्रकाश वर्ष के तुल्य होता है। त्रिकोणमितीय विधि से हम केवल अत्यंत समीपस्थ तारों की दूरियाँ ही ज्ञात कर सकते हैं। अत: दूरवर्ती तारों की दूरियाँ ज्ञात करने के लिए हमें अन्य विधियों का आश्रय लेना पड़ता है। यदि हम किसी प्रकार तारों के निरपेक्ष कांतिमान को जान सकें, तो हम निरपेक्ष कांतिमान शीर्षक में दिए गए सूत्र की सहायता से उनकी दूरियाँ ज्ञात कर सकते हैं। सौभाग्य से हमें सेफिइड (Cepheid) तथा लाइरा (Lyra) वर्ग के तारे उपलब्ध हैं, जिनके निरपेक्ष कांतिमान हम ज्ञात कर सकते हैं।