क्या मुंशीजी को नींद आ सकती थी? तीन लड़कों में केवल एक बच रहा था। वह
भी हाथ से निकल गया तो फिर जीवन में अंधकार के सिवाय और क्या है? कोई
नाम लेनेवाला भी न रहेगा। हा! कैसे-कैसे रत्न हाथ से निकल गए? मुंशीजी की
आँखों से अश्रुधारा बह रही थी, तो कोई आश्चर्य है? उस व्यापक पश्चाताप, उस
सघन ग्लानि तिमिर में आशा की एक हल्की-सी रेखा उन्हें सँभले हुए थी। जिस
क्षण यह रेखा लुप्त हो जाएगी, कौन कह सकता है उन पर क्या बीतेगी? उनकी
उस वेदना की कल्पना कौन कर सकता है?
-A
मन टोगों कों ने की मांग पासीति का काति
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sorry I didn't know the answer
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