Hindi, asked by ar89792362, 3 months ago

-१, क्या 'मनुष्य पर धन की विजय' को 'चेतन पर जड़ की विजय' कहा जा सकता है। बाजार को सार्थकता की
प्रदान की जा सकती है? विस्तार से बताइये।
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Answered by shishir303
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¿ क्या 'मनुष्य पर धन की विजय' को 'चेतन पर जड़ की विजय' कहा जा सकता है। बाजार को सार्थकता कैसे  प्रदान की जा सकती है? विस्तार से बताइये।

✎... हाँ, मनुष्य पर धर्म की विजय को चेतन पर जड़ की विजय कहा जा सकता है, क्योंकि जब मनुष्य धन के प्रभाव में आ जाता है तो मनुष्य धन को नहीं चलाता बल्कि धन मनुष्य को चलाता है। इसी धन के कारण वह बाजारवाद के कुचक्र में फस जाता है। इसी को चेतन पर जड़ की विजय कहते हैं।

हाँ, बाजार को सार्थकता प्रदान की जा सकती है। बाजार को सार्थकता प्रदान करने के लिए बाजारवाद के कुचक्र से निकलना आवश्यक है और केवल अपनी जरूरत के मुताबिक ही खरीदारी की जाए, तभी बाजार को सार्थकता प्रदान की जा सकती है।    

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