क्या सभी की परछाई एक समान होती है ? अपना और अपने माता-पिता की परछाई का अवलोकन करके वर्णन कीजिए।
जो इस सवाल का जवाब देगा में उसे फॉलोय करूंगा और ब्रेनलीस्ट मार्क करूंगा कृपया मेरी मदद करे।
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Answer:
दुनिया में सबसे अनमोल एक रिश्ता है जिससे कोई भी अछूता नहीं है।एक ऐसा रिशता जो अपना है,जिसमें कोई धोखा नहीं है,जिसमें स्वार्थ के लिये कोई स्थान नहींं है,जिसमें परायेपन की तो परछाई तक नहीं है,और वो रिश्ता है-माता पिता का अपनी संतान से।य़ह एक ऐसा रिश्ता है जो दिल से जुडा होता है।संसार के सभी रिशते नातों में यह रिश्ता अनमोल है।माँ हो या पिता दोनों ही अपनी संतान को प्राणों से भी अधिक चाहते हैं । माँ थोडी नरम होती है जबकि पिता थोडे -से सख्त ।पर इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि पिता अपने बच्चों से प्यार नहीं करते।पिता अनुशासनात्मक प्रेम करते हैं और माँ निश्छल प्रेम करती है।आज की दुनिया स्वार्थी हो गयी है।माता पिता कभी भी स्वार्थी नहीं होते।वो अगर स्वार्थी होते भी हैं तो अपनी औलाद के प्यार में।
पर आजकल की संतान को गेखें तरस आता है उन पर कि वो माँ -बाप जैसी अमूल्य निधि को कोयला समझ कर फेंक देते हैं।जो माँ जिन्दगी भर अपने बच्चों पर हाथ नहीं उठा पाई बडे होकर वही बच्चे उन माँ-बाप को घर से बेघर कर देते हैं,उन्हे पीटते हैं।आज के बेटे अपने पिता को तो ऐसे पीटते हैं जैसे वे अपने किसी छोटे भाई को पीट रहें हों।इस परिस्थिति को देखकर उन माँ -बाप की आत्मा कितनी दुखी होती होंगी।
उस संतान की आँखो पर पट्टी बँधई हुई है जो माता -पिता जैसे अमूल्य रिश्ते को ठुकराकर बेवफा प्रेम में अपना सिर पचाये,खुद को बर्बाद किये फिरते हैं।धिक्कार है ऐसी संतान पर ।उन्हे यह एहसास नहीं कि जो आनन्द और सुरक्षा माँ की गोद और पिता के अनुशासन में है वह और कहीं नहीं है।