क्या समझते हैं कि संविधान के 73वे संशोधन ने भारत के स्थानीय स्वशासन को अधिक सशक्त किया है?
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संशोधन से पूर्व कई स्थानों पर चुनावों की कोई भी प्रत्यक्ष एवं औपचारिक प्रणाली नहीं थी, परंतु इस 73वें संवैधानिक संशोधन के माध्यम से यह व्यवस्था की गई कि अभी स्तरों पर चुनाव सीधे जनता करेगी और प्रत्येक पंचायती निकाय की अवधि 5 वर्षों की होगी।
73वें संशोधन में ग्राम सभा को राज्य विधानमंडलों द्वारा सौंपे गए कार्यों और शक्तियों के निष्पादन के लिए पंचायत राज प्रणाली की नींव के रूप में परिकल्पित किया गया है। संशोधन में गांव, मध्यवर्ती और जिला स्तर पर त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था का प्रावधान है।
भारत में स्थानीय स्वशासन का तात्पर्य राज्य के स्तर से नीचे के सरकारी क्षेत्राधिकार से है।
73वें और 74वें संवैधानिक संशोधन स्थानीय सरकारों को मान्यता और सुरक्षा प्रदान करते हैं और इसके अतिरिक्त प्रत्येक राज्य का अपना स्थानीय सरकारी कानून होता है।
भारत में पंचायती राज का 73वां संशोधन। 73वें संशोधन 1992 ने संविधान के शीर्षक से एक नया भाग IX जोड़ा।
अधिनियम पंचायतों को विकास योजनाओं के कार्यान्वयन, करों को बढ़ाने और सामाजिक जिम्मेदारियों के संबंध में अधिकार प्रदान करता है। इसके अलावा यह नियमित चुनाव और महिलाओं और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों को आरक्षण प्रदान करता है।