क्या शरीरक्रियात्मक उद्वेलन सांवेगिक अनुभव के पूर्व या पश्चात घटित होता है? व्याख्या कीजिए।
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संवेगों के शरीरक्रियात्मक आधार: शरीरक्रियात्मक उद्वेलन सांवेगिक अनुभव के पूर्व या पश्चात घटित होता है| जब कोई व्यक्ति नौकरी प्राप्त करने के लिए दुखी है | उस ने इंटरव्यू की बहुत अच्छे से तैयारी की है , और वह अपने आप में आत्मविश्वास का अनुभव कर रहा है | जब वह इंटरव्यू कक्ष में पहुंचता है और इंटरव्यू शुरू होता है , वह डर जाता है , वह तनावग्रस्त हो जाता है | उसके हाथ पैर ठण्डे पड़ने लगते है , हृदय जोर-जोर से धड़कने से लगता है , तो वह अच्छे से जबाव नहीं दे पाता है|
ऐसा व्यक्ति से साथ तब होता है तब होता है जब व्यक्ति किसी संवेग को महसूस करता है तो विभिन्न शरीरक्रियात्मक परिवर्तन होते है| जब व्यक्ति बहुत उतेजित और क्रोधित अथवा भयभीत होता है तो शारीरिक परिवर्तन का पता चल जाता है|
जब व्यक्ति किसी वस्तु के विषय में उतेजित होता है या गुस्से में होता है तब , हृदय की गति बढ़ जाती है , पसीना आने लगता है , और सर चकराने लगता है , हाथ पांव कांपने लगते है |
इस का अभिप्राय यह है की विशेष घटनाएँ शरीर को उतेजित करती है|
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