क्या वेशभूषा किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्धारण में सहायक होती है | प्रेमचंद्र के फटे जूते पाठ के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए
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जूता ‘धन और बल’ का प्रतीक है। जूता समाज में सदा से ही आदर पाता आया है। अर्थात् गुणवान व्यक्तियों को भी धनवानों के सामने कमतर आंका गया है। धनवानों ने ज्ञानी व्यक्तियों को भी झुकने पर विवश किया है। यह समाज की विसंगति ही है।
Explanation:
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क्या वेशभूषा किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्धारण में सहायक होती है | प्रेमचंद्र के फटे जूते पाठ के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
हाँ, वेशभूषा किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण में सहायक हो सकती है।
'प्रेमचंद के फटे जूते' पाठ के आधार पर आ जाए दो यह कहा जा सकता है कि वेशभूषा किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होती है। जिस व्यक्ति का जैसा व्यक्ति होता है वह अपने व्यक्तित्व के अनुसार ही वेशभूषा धारण करता है।
उदाहरण के लिए जो व्यक्ति आधुनिक और पाश्चात्य सभ्यता से प्रेरित है वह हमेशा टीशर्ट, जींस, कोट पैंट आदि जैसी वेशभूषा पहनेगा। जो व्यक्ति भारतीय संस्कृति से प्रभावित है, वह भारतीय दृष्टिकोण के अनुकूल वेशभूषा पहनेगा।
इसके अलावा उस व्यक्ति की सामाजिक और आर्थिक हालत कैसी है, ये उसकी वेशभूषा पर निर्भर करता है। बहुत अधिक धनी होने पर कोई फटे पुराने कपड़े नहीं पहनेगा। यदि वह व्यक्ति सादगी पंसद विचारों वाला व्यक्ति हो तो भी वे सादा कपड़े पहनेगा, फटे पुराने कपड़े फिर भी नहीं बनेगा।
यदि कोई फटे पुराने कपड़े पहनता है तो इससे स्पष्ट होता है कि उसके पास कपड़े खरीदने के लिए पैसे नहीं है। उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है।
प्रेमचंद के फटे जूते पाठ में भी प्रेमचंद जी ने यदि फोटो खिंचवाते समय फटे जूते पहन रखे तो तो ये स्पष्ट हो रहा था कि उस समय उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी।
यह व्यक्तित्व उनकी उस समय की स्थिति को स्पष्ट कर रहा था।
इसलिए कहा जा सकता है कि व्यक्ति की वेशवूषा उसके व्यक्तित्व में सहायक होती है।
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