क्या विद्युत उत्पादन पर हमें कोयले पर निर्भर होना चाहिए इसके क्या विकल्प हो सकते हैं.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, विश्व में सर्वाधिक प्रदूषित दस शहरों में चार शहर भारत के हैं। अगर ऊर्जा उत्पादन में कोयले का इस्तेमाल बिना विकल्प तलाशे घटाया जाता है, तो यकीनन देश को बिजली की बेहद कमी का सामना करना पड़ सकता है। इस करके केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने कोयला-आधारित ऊर्जा संयंत्रों के लिए पर्यावरण के मद्देनजर उत्सर्जन की सीमा संबंधी कड़े नियमों की घोषणा दिसम्बर, 2014 में की थी।भारत में बिजली की मांग तेजी से बढ़ने पर है। ज्यादा से ज्यादा गाँवों को ग्रिड से जोड़ा जा रहा है, इसलिए तय है कि आने वाले वर्षो में बिजली की मांग और बढ़ेगी। अभी भारत में बिजली की कुल आपूर्ति का अस्सी प्रतिशत हिस्सा कोयला-आधारित ऊर्जा से मिलता है। लेकिन यह क्षेत्र बीते कुछ वर्षो से दिक्कतों का सामना कर रहा है। सुदूर गाँवों के उपभोक्ताओं, जहां ग्रिड हाल में पहुंचा है, के साथ ही शहरी इलाकों की ऊर्जा मांग की पूर्ति नहीं हो पा रही क्योंकि बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के पास इतना धन नहीं है कि उत्पादक कंपनियों से बिजली खरीद सकें। ऊर्जा वित्त निगम के मुताबिक, 2014-15 में राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों की संचित हानि चार लाख करोड़ रुपये थी। नतीजतन, लाखों लोगों के पास बिजली नहीं पहुंच पाई है; लाखों लोगों को सीमित आपूर्ति मिल रही है, और जमीनी स्तर पर प्रत्येक उपभोक्ता को जब-तब बिजली कटौती का सामना करना पड़ता है।