(७) क्या व्यक्तिवाचक तथा भाववाचक संज्ञाओं के बहुवचन रुप बनाए जा सकते
है? कारण भी बताइए।
Answers
Answer:
हिंदी व्याकरण, हिंदी भाषा को शुद्ध रूप में लिखने और बोलने संबंधी नियमों का बोध करानेवाला शास्त्र है। यह हिंदी भाषा के अध्ययन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।[1] इसमें हिंदी के सभी स्वरूपों का चार खंडों के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है; यथा - वर्ण विचार के अंतर्गत ध्वनि और वर्ण तथा शब्द विचार के अंतर्गत शब्द के विविध पक्षों संबंधी नियमों और वाक्य विचार के अंतर्गत वाक्य संबंधी विभिन्न स्थितियों एवं छंद विचार में साहित्यिक रचनाओं के शिल्पगत पक्षों पर विचार किया गया है।[2]
वर्ण विचार
मुख्य लेख: वर्ण विभाग
वर्ण विचार हिंदी व्याकरण का पहला खंड है, जिसमें भाषा की मूल इकाई ध्वनि तथा वर्ण पर विचार किया जाता है। वर्ण विचार तीन प्रकार के होते हैं। इसके अंतर्गत हिंदी के मूल अक्षरों की परिभाषा, भेद-उपभेद, उच्चारण, संयोग, वर्णमाला इत्यादि संबंधी नियमों का वर्णन किया जाता है।
वर्ण
हिन्दी भाषा की लिपि देवनागरी है। देवनागरी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण हैं - जिनमें से 11 स्वर, 33 व्यंजन, एक अनुस्वार (अं) और एक विसर्ग (अ:) सम्मिलित है। इसके अतिरिक्त हिंदी वर्णमाला में दो द्विगुण व्यंजन (ड़ और ढ़) तथा चार संयुक्त व्यंजन (क्ष,त्र,ज्ञ,श्र) होते हैं।
स्वर
हिन्दी भाषा में कुल 10 स्वर हैं जो मूल रूप से मौजूद हैं और वे बगल की सारणी में निम्नलिखित हैं।[3] ध्वनियाँ अ, इ, और उ हमेशा हृश्व लम्बाई की होती हैं मगर बाक़ी ध्वनियाँ आ, ई, ऊ, ए, ओ, ऐ और ओ हमेशा दीर्घ लम्बाई की होती हैं।
Answer:
नही
Explanation:
व्यक्तिवाचक संज्ञा उदाहरण - ताज महल , मधुर
अब हम मधुर नाम के किसी व्यक्ति को मधुरे या मधुरो ऐसा नहीं बोल सकते और अगर ऐसा बोला तो पूरा वाक्य खराब हो जाएगा ।
भाववाचक संज्ञा उदाहरण - क्रोध
अब हम क्रोध भाव यानी गुस्सा शब्द को क्रोधे या क्रोधा ऐसा नहीं बोल सकते और अगर ऐसा बोला तो पूरा वाक्य खराब हो जाएगा ।
हिंदी एक शुद्ध भाषा है और अगर हम ऐसे शब्दों का प्रयोग करते रहे तो यह भाषा अशुद्ध हो जाएगी ।
आज कल सभी लोग अशुद्ध हिंदी बोलने लगे है , इसलिए हमे हमेशा शुद्ध हिंदी बोलनी चाहिए ।
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