क्या यशोधर बाबू पुरातन पंथी चरित्र
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यशोधर बाबू ,अपने गुरु किशनदा की तरह पुरातनपंथी थे . वे आधुनिक पीढ़ी के साथ सामंजस्य नहीं बिठा पाते हैं . हर बात में वे आधुनिक पीढ़ी के लोगों की नुक्ताचीनी निकालते रहते हैं . सम हाउ इम्प्रोपेर उनके जीवन में व्याप्त असंतुलन को दर्शाता है ,जो हमेशा कुछ न कुछ गलत होने की बात करता है .
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यशोधर बाबू पूरी तरह से पुरातन चरित्र नहीं है। उनके मन में एक तरह का द्वंद चलता रहता है जिसके कारण नया उन्हें खींचता है परन्तु पुराना उन्हें छोड़ता नहीं।
- यह प्रश्न सिल्वर वेडिंग पाठ से लिया गया है। जिसके मुख्य पात्र है यशोधर बाबू।
- उनके गुरु किसन दा पुराने जमाने के है उनसे ही उन्होंने सब कुछ सीखा है। उनके परिवार में सभी आगे निकल गए है। सभी ने नई सोच के साथ जीना सीख लिया है । यहां तक कि उनकी पत्नी भी मॉडर्न कपड़े पहनती है , काला चश्मा लगाती है। यशोधर बाबू इनका मजाक उड़ाते है।
- उनका एक पुत्र अमेरिका पढ़ने गया है। दूसरा अच्छी कंपनी में अच्छे पद पर कार्यरत है। बेटी भी मेडिकल की पढ़ाई कर रही है। इस प्रकार उनका परिवार संपन्न है । किसी चीज की कोई कमी नहीं। वे रिटायर होकर अपने परिवार के साथ रहने आए है किन्तु नई विचारधारा के साथ वे सामंजस्य नहीं बैठा का रहे इसलिए बेचैन रहते है। घर का आधुनिक माहौल उन्हें रास नहीं अा रहा।
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