(क) यह किसकी उक्ति है?
(ख) मासिक वेतन को पूर्णमासी का चाँद क्यों कहा गया
(ग) क्या आप एक पिता के इस वक्तव्य से सहमत हैं?
Answers
Answer:
मासिक वेतन को पूर्णमासी का चाँद कहा गया है क्योंकि वह महीने में एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है। वेतन भी एक ही दिन आता है जैसे-जैसे माह आगे बढ़ता है वैसे वह खर्च होता जाता है।
कहानी का नायक वंशीधर हमें सर्वाधिक प्रभावित करता है क्योंकि वंशीधर एक सच्चे और ईमानदार दरोगा था उसके माता-पिता उसे बेईमानी की सलाह देते थे लेकिन फिर भी वह उसने कीचड़ में पड़े हुए एक कमल की भांति उभर कर अपनी ईमानदारी का परिचय दिया और यही गुण की वजह से हम सब उसके किरदार से प्रभावित हुए।
Explanation:
मासिक वेतन को पूर्णमासी का चाँद कहा गया है, क्योंकि यह भी महीने में एक बार ही दिखाई देता है। इस दिन चाँद बहुत बड़ा दिखाई देता है| इसके बाद यह घटता चला जाता है और अंत में वह समाप्त हो जाता है।
इसका अर्थ है कि पद ऊँचा हो यह जरूरी नहीं है, लेकिन जहाँ ऊपरी आय अधिक हो उसे स्वीकार कर लेना।
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उत्तर:
(क) यह उक्ति बंशीधर के पिता की है। वंशीधर के पिता उससे यह वाक्य कहते हैं।
(ख) मासिक वेतन को पूर्णमासी का चांद इसलिए कहा गया है क्योंकि पूर्णमासी के चांद की ही भांति वेतन भी महीने में एक बार मासिक रूप से प्राप्त होता है। तथा पूर्णमासी का चांद धीरे-धीरे घटते हुए जैसे महीने के अंत तक लुप्त हो जाता है, वैसे ही मासिक वेतन भी महीने के प्रारंभ में तो पूरा दिखाई देता है और अंत में धीरे-धीरे खर्च हो जाता है।
(ग) हां, मैं वंशीधर के पिता के इस कथन से सहमत हूं क्योंकि मासिक वेतन का यही स्वभाव है कि वह महीने के अंत तक लगभग समाप्त ही हो जाता है।
व्याख्या:
- वंशीधर एक सच्चा स्वाभिमानी और इमानदार आदमी था। परंतु उसके माता-पिता उसे ऊपरी कमाई करने अर्थात बेमानी करके पैसा कमाने की सलाह देते थे। इसी संबंध में उसके पिता वेतन को पूर्णमासी के चांद से तुलना करते हुए कहते हैं कि उसे ऊपरी आय के अन्य स्रोतों पर भी ध्यान देना चाहिए।
- यद्यपि वंशीधर के पिता की बात सत्य है कि मध्यम-वर्गीय परिवार में वेतन जैसे आता है धीरे-धीरे पूरा ही खर्च हो जाता है और महीने के अंत तक लगभग समाप्त ही हो जाता है। परंतु बंशीधर के पिता का उद्देश्य सही नहीं था क्योंकि वे उसे बेईमानी से पैसा कमाने के लिए उकसा रहे थे।
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