कबीर अनुसार निर्गुण वहन कहाँ मिलाता हैं
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आडम्बर से दूर निगरुण-निराकार ब्रह्म का दर्शन अपने भीतर प्राप्त करते हुए उनकी भक्ति में निमग्न रहते थे। अपने अनुयायियों को धर्म की सही दिशा देते रहते थे। वे कहते थे - 'कहैं कबीर बिचारि के जाके बरन न गांव ।
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कबीर के अनुसार निर्गुण ब्राहमण जो कृष्ण भगवान की भाक्ती मे लीन रहते हैं वहाँ मिलता है
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