कबीर चाक का पत्थर क्यू पूजाना चाहते है?
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- यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान ।
- शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान ।
- सब धरती काजग करू, लेखनी सब वनराज ।
- सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाए ।
- ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये ।
- औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए ।
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