कबीर जी के अनुसार हमारा ज्ञान हाथी के समान क्यों होना चाहिए
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कबीर के अनुसार हमारा ज्ञान हाथी के समान इसलिये होना चाहिये, क्योंकि जिस तरह हाथी जब बाजार में चलता है, तो अनेकों कुत्ते उस पर भौंकते हैं, लेकिन हाथी पर कोई असर नही पड़ता, वह अपनी राह चलता चला जाता है। हमारा ज्ञान भी उसी हाथी की तरह होना चाहिये। हमें दुनिया के लोगों के तंज कसने पर ध्यान नही देना चाहिये। अर्थात हमने अपने ज्ञान से जो भी गुण हासिल किये हैं, हमें उन गुणों के अनुसार ही व्यवहार करना चाहिये और व्यर्थ की बातों पर समय नष्ट नही करना चाहिये और अपना काम करते रहना चाहिये।
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Answer:
कबीरजी के अनुसार हमारा ज्ञान हाथी के समान होना चाहिए क्योंकि हाथी एक विशालकाय प्राणी है इसी तरह हमारा ज्ञान भी संकीर्ण नहीं होना चाहिए | दूसरे हाथी अपनी सहजता और गंभीरता में रहता है उसे संसार की भौंकने वाली स्वान प्रजाती से कोई मतलब नहीं इसी तरह हमारा ज्ञान भी सहज मार्ग वाला होना चाहिए अर्थात संसार के विविध आडम्बरों से दूर हमारे ज्ञान की भी सहजावस्था होनी चाहिए |