Hindi, asked by tomuskaansharma, 6 months ago

कबीर जी क ‘साखय’ केआधार पर लखए क सारा संसार ईर को य भलूा आ है?

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Answered by piyushsharm31
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hii mate

यह ग्रंथावली महाकवि संत कबीरदास के विराट काव्य-सर्जना संसार का प्रामाणिक एवं समेकित प्रकाशन है। बल्कि, कहा जाए तो इसमें महाकवि का विद्रोही, सत्य उद्घोषक, जीवन-द्रष्टा तथा सिद्ध संत का स्वरूप बड़े व्यापक तौर पर उद्घाटित हुआ है। इस ग्रंथावली में महाकवि की ज्वलंत एवं बहुआयामी साखियाँ, ललित ‘पदावली’ तथा रागबद्ध मधुर ‘रमैणी’ की त्रिवेणी सुधी पाठकों तथा विज्ञजनों को अपनी अद्भुत प्राणवत्ता एवं विलक्षण उद्घोषणाओं के प्रभापाश में बाँधे रखती है। सच कहा जाए तो इस ग्रंथावली में महाकवि कबीर की सर्जना-प्रतिभा, अन्वेषण-सामर्थ्य, रूढ़ि-भंजक आक्रामकता तथा सिद्ध संत-दृष्टि का एक साथ साक्षात्कार होता है। इस ग्रंथावली से गुजरते हुए ऐसा प्रतीत होता है, मानो महामानव संत कबीर से हम रू-ब-रू हो रहे हैं। सुधी पाठक, विज्ञजन और शोधार्थी इस ग्रंथावली से कबीर के प्राणद जीवन-दर्शन तथा उनके उदात्त काव्य-सर्जना से पूर्णतः परिचित हो सकेंगे।

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