Hindi, asked by maheshgoyal145220, 1 year ago

कबीर का काव्य आज भी अत्यधिक प्रासंगिक है इस कथन की समीक्षा कीजिए लगभग 100 शब्दों में उत्तर लिखिए

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Answered by ranarajni516
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Answer:

कबीर निर्गुण ब्रह्म की बात करते हुए कहते हैं, 'निर्गुण पंथ निराला साधो' दूसरी ओर मानव देह रूप चादर के ध्रुव, प्रह्लाद सुदामा ने ओढी सुकदेव ने निर्मल किन्हीं कह कर सगुण साकार ब्रह्म की ही बात करते हैं। ... वस्तुतः कबीर, रूढ़िवादी, परंपरा के धुर विरोधी और मानव मात्र की उद्धार की सरल रीति बताने वाले संत कवि थे।

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