Hindi, asked by mayank00115, 1 month ago

कबीर की काव्य भाषा पर प्रकाश डालिए​

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Answered by bhatiamona
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कबीर की काव्य भाषा पर प्रकाश डालिए​:

कबीर के काव्य भाषा सधुक्कड़ी शैली की भाषा रही है।

व्याख्या :

कबीर की काव्य भाषा ऐसी भाषा होती थी, जिसमें मिश्रित शब्दों का प्रयोग किया जाता था। कबीर ने अपनी दोहों में अरबी, फारसी, बुंदेलखंडी, ब्रजभाषा, खड़ी बोली, पंजाबी सभी तरह के भाषा के शब्दों का प्रयोग किया है। उनकी यह भाषा पंचमेल खिचड़ी की तरह थी। उनकी इस भाषा को साधुक्कड़ी भाषा कहा जाता था। कबीर के दोहे आम बोलचाल की भाषा में ही रचे गए हैं जो आम जनमानस को बेहद आसानी से समझ में आ जाते थे। उनके दोहों में सामाजिक कुरीतियों और धार्मिक आडंबरों पर व्यंग और कटाक्ष देखने को मिलता है।

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