कबीर की साखी कबिता का केंद्रीय भाउ likheyn
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कबीर की साखी
कबीर की साखी में कबीर जी यह समझाना चाहते है : हमे ऐसी मधुर वाणी बोलनी चाहिए जिससे हमें शीतलता का अनुभव हो और साथ ही सुनने वाले का मन भी प्रसन्न हो उठे।
हमें कटुर वचन नहीं बोलने चाहिए | हमेशा सबसे प्यार से और हंस के बात करनी चाहिए | खुद को भी सुख की अनुभूति होती है।
कबीर ने उपर्युक्त दोहे में वाणी को अत्यधिक महत्त्वपूर्ण बताया है। महाकवि संत कबीर दस के दोहे में कहा गया है की हमे ऐसी मधुर वाणी बोलनी चाहिए जिससे हमें शीतलता का अनुभव हो और साथ ही सुनने वालों का मन भी प्रसन्न हो उठे।
मधुर वाणी से समाज में एक-दूसरे से प्रेम की भावना का संचार होता है। जबकि कटु वचनो से सामाजिक प्राणी एक-दूसरे के विरोधी बन जाते है। इसलिए हमेशा मीठा और उचित ही बोलना चाहिए, जो दुसरो को तो प्रसन्न करता ही है और खुद को भी सुख की अनुभूति कराता है।
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