कबीर की साखियों के अनुसार विरह का सर्प वियोगी की क्या दशा कर देता है?
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उत्तर : विरह एक ऐसे सर्प के सामान है जो अगर किसी को जकड ले,तो उसे कोई मात्रा भी मुक्ति नहीं दिला सकता । ईश्वर की विरह में भक्त भी या तो प्राण त्याग देता है या विक्षिप्त (पागल्र) हो जाता है।
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