कबीर के धार्मिक विचारों पर प्रकाश डालिए--
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
'मियों नसीरुद्दीन ने औरखों के कये हम पर फेंक दिए। फिर तरस्कर बोल- क्या म
पूछिए साहब नानबाई इल्म लेने कहीं और जाएगा? क्या नगीनासाज के पास? क्या आ
पारा? का गीना साज के पास या स्फगर, रंगरेज या तेली-तंबोली से सीखने जाए
फरमा दिया साहब यह तो हमारा खानदानी पेशा ठहरा। ही, इल्म की बात पूछिए तो जो
सीखा अपने यालिद उस्ताद से ही। मतलब यह कि हम घर से न निकले कि कोई पेशा
करेंगे। जो बाप-दादा का हुनर था वही उनसे पाया और वालिद मरहम के उत जानेय
उन्हीं के ठीये पर।
(क) नसीरुद्दीन के खानदान का पेशा क्या था? उसने अपनी आजीविका के लिए कौन
अपनाया?
(ख) नसीरुद्दीन ने नानबाई का धंधा किससे सीखा?
(ग) उक्त गद्यान के आधार पर कुछ खानदानी धंधों के नाम गिनाइये।
में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
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