History, asked by prahladkaiwart10, 8 months ago

कबीर की उलटबाँसी रचनाओं का ​

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Answered by TaheniyatAnjum
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Explanation:

देखि देखि जिय अचरज होई,यह पद बूझें बिरला कोई।। धरती उलटा अकासै जाय, चिउंटी के मुख हस्ति समाय। बिना पवन सो पर्वत उड़े,जीव जन्तु सब वृक्षा चढ़े। सूखे सरवर उठे हिलोरा, बिनु जल तक वा करत किलोरा।

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