कब्रे कहानी की कहानी कला के आधार पर समीक्षा कीजिए
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I have no idea sorry
good night
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भूख’ मनुष्य की आधारभूत आवश्यकता और एक शाश्वत समस्या है, जो कभी-कभी इंसान को जानवर तक बना देती है। किसी भी चीज के लिए आसक्ति जब व्यक्ति के अंदर अत्यधिक बढ़ जाती है, तो वह भूख बन जाती है। और यह भूख कई प्रकार की हो सकती है। कोई कला के प्रति अनुरक्त होता है तो किसी के मन में रूप सौंदर्य के लिए आसक्ति होती है। किसी में धन संचय की प्रबल लालसा होती है तो कोई काम वासना का भूखा होता है। पर इन सब से बढ़कर व्यक्ति के जीवन में जो स्थान रखती है, वह मनुष्य के पेट की भूख है, रोटी की भूख है और जिसकी विवशता मनुष्य को सभी नैतिक मूल्यों से गिरा कर अमानवीय व्यवहार करने पर मजबूर कर देती है। मुंशी प्रेमचंद ने भी ‘बड़े घर की बेटी‘ में स्वीकार किया है कि क्षुधा से बावला मनुष्य जरा सी बात पर तिनक जाता है।
मानव जीवन में पेट भरना एक बड़ी समस्या है और यह समस्या तभी शुरू हो गई थी जब मानव ने संग्रह करना शुरू किया था। यह पेट भरने की प्रक्रिया ही थी, जिसने मानव को असभ्य से सभ्य बनाया और उसे वापस असभ्य बनाने की भी क्षमता रखती है। भूख, उसे उत्पन्न करने वाली परिस्थितियों, उससे उत्पन्न समस्याओं आदि का भारतीय ही नहीं वरन विश्व साहित्य में चिरकाल से यथार्थपरक चित्रण होता रहा है। समाज का पथ प्रदर्शक कहे जाने वाला साहित्यकार या एक कलाकार को भी पेट की भूख किस तरह अपनी कला बेचने पर मजबूर कर देती है इसका पता हमें दूसरे सप्तक के प्रमुख कवि भवानी प्रसाद मिश्र की कविता ‘गीत फरोश‘ से चलता है।