कबीर ने अपने दोहे में हिरण व उसकी नाभि में बसी कस्तूरी का उल्लेख करते हुए जीवन में किस यथार्थ को स्पष्ट करने का सार्थक प्रयास किया है
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यहाँ कवि ने ईश्वर की महत्ता को स्पष्ट करते हुए कहा है कि कस्तूरी हिरण की नाभि मै होती है लेकिन इससे अनजान हिरण उसकी सुगंध के कारण उसे पूरे जंगल मे ढूंढता फिरता है । ठीक उसी प्रकार ईश्वर भी प्रत्येक मनुष्य के हृदय मे निवास करते है, परंतु मनुष्य इसे वहाँ नही देख पाता । वह ईश्वर को मदिर - मस्जिद मे ढूंढता रहता है ।
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