कबीर ने भगवान के गुणों का बखान करने के लिए किन किन वस्तुओं की कल्पना की है?
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कबीर दास को अपने परिवार के भरण पोषण के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी।हमेशा तंगहाली में रहे कबीर के घर साधु-संतों का जमावड़ा लगा रहता था।उनके द्वारा रचित कबीर की वाणी का संग्रह `बीजक' के नाम से मशहूर हैं। इसके तीन खंड हैं- रमैनी, सबद और सारवी । यह पंजाबी, राजस्थानी, खड़ी बोली, अवधी, पूरबी, ब्रजभाषा समेत कई भाषाओं की खिचड़ी है।इसी कारण कबीर को किसी एक भाषा का कवि नही माना जा सकता।कबीरदास का मानते थे कि इंसान के सबसे पास उसके माता-पिता, दोस्त और मित्र रहते हैं, इसलिए वे परमात्मा को भी इसी परिजन की दृष्टि से ही देखते थे।उनके कई दोहो में परमात्मा से सीधा संवाद और परमात्मा को लेकर मूर्ति पूजा आदि अंधविश्वास के खिलाफ नसीहत भरे अंदाज में फटकार भी लगाते दिखते है।कबीर दास ने अपना पूरा जीवन काशी में ही गुजारा लेकिन वह मरने के समय मगहर चले गए थे। ऐसा माना जाता है उस समय लोग मानते थे कि मगहर में मरने से नरक मिलता है और काशी में प्राण त्यागने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।...
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