Hindi, asked by pritikumari21616, 3 months ago

कबीर नौबत आपनी, दिन दस लेहुं बजाय।
यह गली यह पुर पट्टन, बहुरि न देखहुँ आय।।7।।​

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Answered by pranjal6762
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Answer:

इस दोहे की हिंदी मीनिंग : जीवन क्षणिक हैं, सदा के लिए नहीं मिला है। यहाँ कुछ दिनों का मेला है जिसमे कुछ समय के लिए खुशियाँ मनानी हैं (दस दिन नौबत बजा लेनी है ) . एक बार यहाँ से रवानगी हो जाने पर यह नगर, गलियां और इसके घाट दोबारा देखने को नहीं मिलेंगे। जीवन क्षणिंक है और हरी भजन के लिए मिला है, इसे चाहे जैसे भी बिताया जाय यह दोबारा किसी को नहीं मिला है इसलिए जीवन का प्रत्येक पल हरी भजन को समर्पित कर देना चाहिए। इसके समान ही कबीर साहेब की वाणी है की -

जिनके नौबति बाजती, मैंगल बंधते बारि

जिनके नौबति बाजती, मैंगल बंधते बारिएकै हरि के नाव बिन, गए जनम सब हारि

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