कबीर ने कितनी दिशाओं में मन का घूमना बताया है ?
Answers
Answered by
3
दस …. 10
Please mark brainliest
Please mark brainliest
Answered by
0
संत कबीर ने दस दिशाओं में मन का घूमना बताया है।
- संत कबीर अपनी साखी में कहते है " मनुवाँ तो दुहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नाहिं’ इसका तात्पर्य है कि हमारा मन अति चंचल है , ईश्वर की भक्ति करते समय भी यह स्थिर नहीं रहता, यहां- वहां की बातों में भटकता रहता है।
- कबीर कहते है कि बार बार समझाने पर भी मन नहीं समझता , यहां हमें लगता है कि हम ईश्वर का भजन कर रहे है परन्तु मन कभी बचपन की यादों में खो जाता है कभी आने वाले कल की कल्पना करता है।
- मन अपनी ही धुन में लगा रहता है , संत कबीर कहते है कि यदि मन दसों दिशाओं में घूमता है तो इसे ईश्वर का स्मरण नहीं कहते, मन को वश में किए बिना ईश्वर को प्राप्त नहीं किया जा सकता।
Similar questions