कबीर ने नारी के किस रूप की प्रशंसा की
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भक्तिकालीन साहित्य में पाखण्ड-विरोध के समानान्तर स्त्री-विरोध का स्वर भी स्पष्टतः मुखर हुआ है। खासकर कबीर जैसे प्रगतिशील और भक्त कवि ने अपने दोहों में स्त्री को दो रूपों में विभाजित कर उसका चरित्रांकन किया है। ये दो रूप हैं, ‘पातिव्रत्य’ रूप और ‘कामिनी’ रूप।
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atmnirbhrta ki
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