कबीर पाहन केरा पूतला, करि पूर्जे करतार।
इंह र भरोसै जे रहे, ते बूड़े काली धार ॥1॥
Answers
Answered by
0
Answer:
हिंदी भावार्थ : साहेब की वाणी है की उस पत्थर की मूर्ति को क्या पूजना जो जीवन भर तक जवाब ही नहीं देती है, उसे पूजने वाले अंधे हैं जो व्यर्थ में ही अपने जीवन को समाप्त कर लेते हैं। भाव है की ईश्वर किसी मंदिर की मूर्ति में नहीं बल्कि हर जगह फैला हुआ है, वह तो सूरज की किरणों की भाँती हर जगह व्याप्त है उससे तभी पहचान मिलेगी जब जीव सद्कर्म करके मालिक का अन्तः करण से सुमिरण करेगा, अन्यथा सिर्फ भटकाव ही पल्ले लगना है।
Similar questions
India Languages,
2 months ago
Math,
2 months ago
Math,
2 months ago
Math,
5 months ago
English,
5 months ago
Social Sciences,
11 months ago
Math,
11 months ago
Math,
11 months ago