Hindi, asked by durgabanjare424, 6 months ago


कबीर, रहीम या तुलसी के दोहों का सस्वर-पठन। (व्यक्तिगत गतिविधि)




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Answered by shrushrii
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Answer:

तुलसी का दोहा

करम खरी कर मोह थल अंक चराचर जाल |

हनत गुनत गनि गुनि हनत जगत ज्योतिषी काल ||

काल के कार्य का वर्णन करते हुए तुलसीदास कहते हैं कि संसार में काल रूपी ज्योतिषी हाथ में कर्म रूपी खड़िया लेकर मोहरूपी पट्टी पर चराचर जीव रूपी अंकों को बनाता है, हिसाब लगाता है और फिर एक-एक कर उन्हें मिटा देता है |

रहीम क दोहा

साधु सराहै साधुता, जती जोखिता जान |

रहिमन साँचे सूर को, बैरी करे बखान ||

सज्जन लोग सज्जनता की प्रशंसा करते हैं, योगी-संन्यासी लोग ध्यान-समाधि आदि की प्रशंसा करते हैं; लेकिन सच्चे शूरवीर की तो विपक्षी शत्रु भी प्रशंसा करते हैं |कबीर का दोहा

माला फेरत जुग गया, मिटा ना मन का फेर |

कर का मन का डारि दे, मन का मनका फेर ||

कबीर कहते हैं कि माला फेरने से कुछ नहीं होता, असल में अपने मन में शुद्ध विचारों को भरो | अगर आपके मन में कुविचार भरे पड़े हैं और फिर भी तुम ईश्वर के नाम की माला जपते हो तो कुछ नहीं होगा |

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