Hindi, asked by mismomo410, 8 months ago

कबीर संगत साधु की, बेगि करीसै जाइ।
दुरमती दूर गँवाइसी, देसी सुमति बताइ​

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Answered by vishakhakoundal223
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Explanation:

साधु की संगति जल्दी ही करो, भाई, नहीं तो समय निकल जायगा । तुम्हारी दुर्बुद्धि उससे दूर हो जायगी और वह तुम्हें सुबुद्धि का रास्ता पकड़ा देगी

Answered by franktheruler
2

कबीर संगत साधु की, बेगि करीसै जाइ।

दुरमती दूर गँवाइसी, देसी सुमति बताइ

व्याख्या कीजिए

  • संदर्भ : दी गई पंक्तियां संत कबीर जी के दोहे से ली गई है।

  • प्रसंग : इन पंक्तियों में संत कबीर ने संगति की महिमा का बखान किया है।

  • व्याख्या : संत कबीर कहते है कि प्रतिदिन साधुओं की संगति किया करो। वे कहते है कि साधुओं की संगति से तुम्हारी दुर्बुद्घि चली जाएगी तथा तुम्हे सुबुद्धि प्राप्त होगी। मन के विकार दूर होते है।
  • यदि हम कोई अवांछित हरकत करते है तो हमें खरी खोटी सुनाई जाती है , हमें तो कोसा जाता है हमारी संगति को भी बखाना जाता है। कहा जाता है कि किसके संग रहना सीखा है? यह सब बुरी बातें किस्से सीखी है ? हमारी सखी सहेलियों की जात बिरादरी व उनकी पुश्तें तक गिनवा दी जाती है।

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